पोर्श कार कांड- नाबालिग के पिता और दादा को मिली जमानत, ड्राइवर की किडनैपिंग का आरोप

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पुणे के चर्चित पोर्श कार हादसे मामले में कोर्ट ने नाबलिग आरोपी के पिता और दादा को जमानत दे दी है. उन दोनों पर अपने ड्राइवर पर जबरन हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाने और उसका किडनैप करने का आरोप है. न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ने आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को जमानत दे दी है. इससे पहले आरोपी को भी रिमांड होम से रिहा कर दिया गया था.

बचाव पक्ष के वकील प्रशांत पाटिल ने बताया कि उनके मुवक्किलों को कथित अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने के मामले में अदालत ने जमानत दे दी है. उन्होंने कहा, "मेरे मुवक्किल जांच एजेंसी के साथ सहयोग करेंगे और जमानत की कड़ी शर्तों का पालन करेंगे." पुलिस के अनुसार, आरोपी के पिता और दादा ने हादसे के कुछ घंटों बाद 19 मई को रात 11 बजे पुलिस स्टेशन से निकलने के बाद ड्राइवर गंगाराम का अपहरण कर लिया था.

पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया था कि आरोपियों ने अपने ड्राइवर गंगाराम पर इस हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया था. इसके बाद आरोपी के ड्राइवर ने बयान भी दिया था कि हादसे के वक्त कार वो चला रहा था. लेकिन सबूतों के आधार पुलिस ने खुलासा कर दिया कि ड्राइवर ने पैसे के लालच में जिम्मेदारी ली थी. बताया जा रहा है कि आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने सबसे पहले अपने ड्राइवर गंगाराम को बंगले पर बुलाया.

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बहुत सारे पैसे देने का लालच देकर उसे इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वो थाने में जाकर ये बयान देगा कि भयानक हादसे के वक्त पोर्श कार को वो ड्राइव कर रहा था. इसके बाद अपने साथ गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए. बयान दर्ज करवाया. उसके बाद अपने साथ वापस भी लाए. लेकिन साजिश के तहत उसे घर जाने देने की बजाए बंगले में कैद कर लिया. इतना ही नहीं सुरेंद्र अग्रवाल ने गंगाराम का मोबाइल फोन भी छीन लिया.

इधर पुलिस मुस्तैद थी. दबाव में भी. क्योंकि सूबे के मुखिया यानी सीएम एकनाथ शिंदे खुद इस मामले में नजर बनाए हुए थे. पुलिस ने ड्राइवर की पत्नी की शिकायत के आधार पर सुरेंद्र अग्रवाल के बंगले पर छापा मारा, तो पूरी साजिश का खुलासा हो गया. इसके बाद पुलिस ने आरोपी के दादा को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन उन्होंने कोर्ट में कहा था कि वो हादसे वाली रात किसी काम से दिल्ली गए हुए थे. उनका हादसे से कोई लेना-देना नहीं था.

बताते चलें कि हादसे के वक्त ड्राइवर उसी पोर्श कार में मौजूद था, जिसे नाबालिग आरोपी चला नहीं उड़ा रहा था. दरअसल, नशे की हालत आने के बाद आरोपी कार चलाने की जिद करते हुए ड्राइवर से चाभी मांगने लगा. इसके बाद गंगाराम ने आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को फोन कर बताया कि नशे की हालत में उसका बेटा कार चलाना चाह रहा है. ये जानने के बाद भी विशाल ने उससे गाड़ी की चाबी अपने बेटे को ही दे देने की बात कह दी थी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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